चंडीगढ़, 31 अक्टूबर 2024: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने दिवाली और बंदी छोड़ दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेश और पूरे देश के नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने संदेश में कहा कि दिवाली का यह पर्व हमें सदियों से धर्म, प्रेम और एकता की शिक्षा देता आया है, और हमें अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई, और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक बनाता है।
मुख्यमंत्री मान ने उम्मीद जताई कि यह पर्व पंजाब और दुनिया भर में रह रहे पंजाबियों के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियां लेकर आएगा। उन्होंने कहा, “दिवाली की जगमगाहट सिर्फ हर घर को ही नहीं, बल्कि हर दिल को भी रोशन करती है। यह पर्व हमें भाईचारे और साम्प्रदायिक सौहार्द्र की भावना को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।”
बंदी छोड़ दिवस का ऐतिहासिक महत्व
मुख्यमंत्री मान ने बंदी छोड़ दिवस पर भी विशेष रूप से देशवासियों, विशेषकर सिख समुदाय को बधाई दी। बंदी छोड़ दिवस का यह पर्व 1612 में गुरु हरगोबिंद साहिब जी की ग्वालियर किले से 52 हिंदू राजाओं को रिहा कराने की ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “बंदी छोड़ दिवस का ऐतिहासिक महत्व सिर्फ एक धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और मानवता के मूल्यों का प्रतीक भी है।”
भगवंत मान ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वे इस पर्व को जाति, धर्म और संकीर्ण विचारधाराओं से ऊपर उठकर मनाएं और समाज में शांति, भाईचारा और एकता का संदेश फैलाएं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दिवाली और बंदी छोड़ दिवस हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक एकता को संजोए रखने की प्रेरणा देता है।
पंजाब सरकार द्वारा पर्व की तैयारियां
इस दिवाली के मौके पर पंजाब सरकार ने प्रदेश में साफ-सफाई, ट्रैफिक मैनेजमेंट और सुरक्षा इंतजामों को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। प्रमुख शहरों में सड़क सुरक्षा अभियान चलाए गए हैं, ताकि लोग सुरक्षित और आनंदमय तरीके से त्योहार मना सकें। साथ ही, सरकार ने पटाखों की बिक्री और प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
राज्य के विभिन्न गुरुद्वारों और धार्मिक स्थलों पर विशेष अरदास और लंगर का आयोजन भी किया गया है। अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब में विशेष रूप से सजावट की गई है, जहाँ लाखों श्रद्धालु बंदी छोड़ दिवस की अरदास के लिए इकट्ठा होंगे। पंजाब के अन्य प्रमुख शहरों में भी धार्मिक स्थलों और बाजारों की रौनक देखते ही बन रही है।
सामुदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संदेश में जोर देते हुए कहा कि “त्योहारों का असली उद्देश्य हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करना और आपसी प्रेम व सौहार्द्र को बढ़ाना होता है।” उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे इस दिवाली अपने आसपास के जरूरतमंदों के साथ खुशियाँ साझा करें, ताकि हर एक व्यक्ति इस पर्व की रौनक का हिस्सा बन सके।
भगवंत मान ने यह भी अपील की कि इस वर्ष दिवाली पर प्रदूषण नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “दिवाली का असली आनंद तब है जब यह हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखे। पटाखों का प्रयोग कम से कम करें और अधिक से अधिक दीयों का प्रयोग करें, ताकि यह पर्व पूरी तरह से सुरक्षित और स्वच्छ रहे।”
मुख्यमंत्री मान ने इस पर्व पर प्रदेश में सामाजिक और आर्थिक प्रगति का आह्वान किया और कहा कि एकता और भाईचारे से ही एक मजबूत पंजाब का निर्माण हो सकता है।
बंदी छोड़ दिवस पर विशेष आयोजन
बंदी छोड़ दिवस के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने के लिए पंजाब सरकार ने प्रदेश के प्रमुख गुरुद्वारों में धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर समेत राज्य के अन्य गुरुद्वारों में विशेष अरदास और दीवान का आयोजन किया जाएगा। सिख धर्म के इतिहास में इस दिन का विशेष महत्व है और इसे “सिख समुदाय के लिए स्वतंत्रता और न्याय के प्रतीक के रूप में” देखा जाता है।
मुख्यमंत्री ने सभी से इस अवसर पर धार्मिक समर्पण और सेवा भाव से जीवन जीने की प्रेरणा लेने का आग्रह किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि बंदी छोड़ दिवस सिखों की एकता, भाईचारे और सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।