नई दिल्ली : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधान हो गया। मनमोहन सिंह की अर्थशास्त्र में गहरी पकड़ और 1991 में भारत में किए गए ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के लिए उन्हें याद किया जाता है। प्रधानमंत्री बनने से पहले वे भारत के वित्तमंत्री रह चुके थे। उनके द्वारा किए गए सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी थी। उन्होंने देश के वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्हें एक विशेष सम्मान भी प्राप्त है। वे देश के इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिनके हस्ताक्षर भारतीय नोटों पर पाए जाते हैं। 2005 में भी जब वे प्रधानमंत्री के पद पर थे तब भारत सरकार ने 10 रुपये का नया नोट जारी किया था।
उस पर मनमोहन सिंह के हस्ताक्षर थे। हालांकि उस दौरान नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते थे। लेकिन 10 रुपये के नोट पर यह विशेष बदलाव हुआ था। इसके इलावा मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके हैं। वह 16 सितंबर 1982 से लेकर 14 जनवरी 1985 इस पद पर थे। इस दौरान छपने वाले नोटों पर उनके हस्ताक्षर हुआ करते थे। भारत में यह व्यवस्था आज भी बनी हुई है कि करेंसी पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की नहीं, बल्कि आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।
मनमोहन सिंह ने जब 1991 में पी वी नरसिम्ह राव की सरकार में वित्त मंत्रालय की बागडोर संभाली थी, तब भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8.5 प्रतिशत के करीब था, भुगतान संतुलन घाटा बहुत बड़ा था और चालू खाता घाटा भी जीडीपी के 3.5 प्रतिशत के आसपास था। इसके अलावा देश के पास जरूरी आयात के भुगतान के लिए भी केवल दो सप्ताह लायक विदेशी मुद्रा ही मौजूद थी। इससे साफ पता चलता है कि अर्थव्यवस्था बहुत गहरे संकट में थी।