झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड में दस बच्चों की मृत्यु के मामले में योगी सरकार ने बड़ी कार्यवाही की है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर गठित चार सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज के प्रिंसिपल को हटा दिया है। उन्हें लखनऊ से अटैच किया गया है। इसके साथ ही कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को आरोप पत्र एवं 3 अन्य को निलंबित किया गया है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई ह्रदय विदायक घटना को लेकर सरकार बेहद संवेदनशील है। पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद उपलब्ध कराई गई है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में एक जांच कमेटी का गठन किया गया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर को पद से हटा दिया गया है। उन्हें चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशालय से संबद्ध किया गया है। इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सचिन माहुर को आरोप पत्र दिया गया है। वहीं, कॉलेज के अवर अभियन्ता (विद्युत) संजीत कुमार, एनआईसीयू वार्ड की नर्सिंग सिस्टर इंचार्ज संध्या राय एवं मेडिकल कॉलेज की प्रमुख अधीक्षक डॉ. सुनीता राठौर को तत्काल निलम्बित करते हुए आरोप पत्र दिया गया। कॉलेज में बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ओमशंकर चौरसिया, सर्जरी विभाग के सह-आचार्य डॉ. कुलदीप चंदेल व विद्युत प्रभारी अधिकारी को आरोप पत्र देकर उनकी भूमिका की जांच के लिए मण्डलायुक्त झांसी को जांच अधिकारी बनाया गया।
बता दें कि15 नवम्बर को झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में आग लगने से दस बच्चों की मृत्यु हो गई थी। हादसे के तुरंत बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक घटनास्थल पर पहुंचे थे और पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी थी। साथ ही दोषियों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था। डिप्टी सीएम ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को महानिदेशक की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद समीक्षा कर घटना में दोषियों के खिलाफ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक द्वारा कार्रवाई की गई है।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच कमेटी का पिछले 16 नवंबर को गठन किया गया था। कमिटी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट तैयार की। अब इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की तैयारी है। रिपोर्ट में आग लगने के दौरान ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर और कर्मचारियों की जवाबदेही तय की गई है। अग्निकांड के दौरान मेडिकल उपकरण चलाने में बरती गई लापरवाही का भी जिक्र और शार्ट सर्किट से ऑक्सिजन कंसंट्रेटर में आग लगने से यह हादसा हुआ था।