नई दिल्ली। देश भर के मंदिरों के पास, ट्रैफिक सिग्नल पर या फिर राह चलते एक दो भिखारी तो मिल जाते होंगे, जो 10-5 रुपए की मांग करते होंगे। जिन्हें आप मजबूर, बेसहारा, गरीब, मजलूम समझ कर भीख दे रहे हैं, हो सकता है कि वह आपसे ज्यादा अमीर हो, आप से ज्यादा उनकी कमाई हो। यह भी हो सकता है कि उसका बैंक बैलेंस आप से ज्यादा हो और अच्छे माकान में रह रहे हो, अच्छा-अच्छा खाना खा रहे हो। ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं बल्कि हाल ही में भिखारियों के लिए एक धरपकड़ अभियान और सर्वे कराया गया।
भिखारियों के धरपकड़ अभियान और सर्वे में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि लखनऊ के भिखारियों ने कमाई के मामले में कई नौकरीपेशा लोगों को पीछे छोड़ दिया है। वो 90 हजार रुपए महीने तक कमा रहे हैं। अफसरों की जांच में कई भिखारियों के पास स्मार्टफोन और पैन कार्ड तक पाए गए हैं।
दरअसल लखनऊ में डूडा नगर निगम और समाज कल्याण विभाग द्वारा किए गए सर्वे में 5 हजार 312 Beggar मिले हैं। अब इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने और मुख्यधारा में जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इनके फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। आधार कार्ड बनवाए जा रहे हैं। इसमें पांच टीमें लगी हुई हैं। इस दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
सर्वे में गर्भवती महिलाओं को मिलती है ज्यादा भीख
अभियान के मुताबिक किये गये सर्वे में पता चला कि भीख मांगकर सबसे ज्यादा कमाई महिलाएं कर रही हैं। गर्भवती महिलाएं और गोद में छोटे बच्चे को लेकर भीख मांगने वाली महिलाएं हर दिन तीन हजार रुपए तक कमा लेती हैं। बुजुर्ग और बच्चे नौ सौ से लेकर डेढ़-दो हजार रुपए तक कमा लेते हैं। इसके अलावा उन्हें खाना-पीना और कपड़े भी मुफ्त मिल रहे हैं। इस आधार पर अफसरों ने हिसाब लगाया है कि अगर एक भिखारी की औसत आय 1200 रुपए प्रतिदिन मानी जाए तो राजधानी के लोग कुल भिखारियों को 63 लाख रुपए से ज्यादा प्रतिदिन भीख में दे रहे हैं।