
ऊना/सुशील पंडित: 25 फरवरी को वशिष्ट पब्लिक स्कूल में अध्यापकों के लिए वर्कशॉप का आयोजन किया गया। स्कूल में नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फाऊंडेशनल स्टेज पर एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह वर्कशॉप योगेश गंभीर, डी.ए.वी. स्कूल फिल्लौर के प्रधानाचार्य तथा उनके सहयोगी आशीष कुमार द्वारा ली गई, जो कि प्रख्यात प्रशिक्षक तथा प्रेरक वक्ता हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क का उद्देश्य शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण विधियों और कौशलों से सुसज्जित करना है ताकि वे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर सकें। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि सर्वप्रथम वे स्वयं खुश रहें और अपने क्लासरूम को हैप्पी क्लासरूम बनाएंँ।
शिक्षण को बेहतर बनाने के लिए विजुअल एड्स का प्रयोग करके अवधारणा को समझाएंं। उन्होंने कहा कि आपके पास गतिविधियों के लिए अलग-अलग विचार होने चाहिए। अपनी कक्षा को चिंतनशील कक्षा बनाएंँ। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी आपसे पढ़ाए गए विषय पर अधिक से अधिक प्रश्न करें ताकि वे विषय को गहराई से समझ सकें और जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं, उनके लिए रिमेडियल टीचिंग की अलग से योजना बनाई जाए। उन्होंने शिक्षकों से तरह-तरह की गतिविधियांँ करवाईं जिससे अध्यापकों को बहुत -सी नई चीज़ें सीखनें को मिली।’स्पाइरल लर्निंग’ के बारे में उन्होंने शिक्षकों को बताया कि यह एक शिक्षण पद्धति है जिसमें किसी विषय को बार-बार लेकिन हर बार अधिक गहराई और जटिलता के साथ दोहराया जाता है ।
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र धीरे-धीरे लेकिन स्थाई रूप से ज्ञान और कौशल विकसित करें। छात्रों को केवल रटने के बजाय वास्तविक परिस्थितियों में प्रयोग और अनुभव के माध्यम से सीखने का अवसर मिलता है। छात्रों की तार्किक और रचनात्मक सोच विकसित होती हैं । विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उनमें टीमवर्क और सहयोग की भावना को बढ़ाया जाता है।उन्होंने बताया कि ‘अनुभवात्मक अधिगम ‘ शिक्षा को अधिक रोचक, व्यावहारिक और प्रभावी बनाता है। यह छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रखकर ,उन्हें वास्तविक दुनिया की समस्याओं को समझने और हल करने के लिए प्रेरित करता है।
पंचकोश विकास के बारे में भी संपूर्ण रूप से चर्चा की गईं। उन्होंने बताया कि यह सिद्धांत बच्चों के विकास के हर पहलू को ध्यान में रखता है ।इसका उद्देश्य बच्चों के शारीरिक ,मानसिक बौद्धिक विकास को बढ़ावा देना है । यह सिद्धांत बच्चों में सक्रिय भागीदारी, आलोचनात्मक सोच और रचनात्मक समस्या समाधान को बढ़ावा देता है ।उन्होंने बताया कि यह सिद्धांत विद्यार्थियों में लचीलापन ,अनुकूलनशीलता और आजीवन सीखने के लिए रूचि पैदा करता है । स्कूल के प्रधानाचार्य दीपक कौशल ने योगेश गंभीर और उनके सहयोगी आशीष कुमार का धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण सत्र शिक्षकों के लिए उपयोगी रहेगा। वह आगामी सत्र में अपनी शिक्षण रणनीति में बदलाव कर विद्यार्थियों को बेहतर तरीके से शिक्षा प्रदान कर सकेंगे।