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डॉक्टर को नीद इतनी प्यारी कि ढंग से नही देखा मरीज
बद्दी : बद्दी अस्पताल के एक चिकित्सक की लापरवाही से एक चार साल के बच्चे की बिना उपचार के मौत हो गई है। बद्दी अस्पताल में उपचार न मिलने पर बच्चे का पिता अपने बीमार बेटे को पीजीआई ले गया लेकिन वहां तक पहुंचने से पहले बच्चे ने दम तोड़ दिया। चंबा के सलूनी निवासी भूपेंद्र झाड़माजरी में किसी कंपनी में काम करता है। उसके चार साल के बेटा पियूष की सोमवार शाम को अचानक तबियत खराब हो गई। उसे लगातार खांसी हो रही थी। ड्यूटी से जैसे ही वह घर पर आया तो उसकी पत्नी ने उसे बच्चे के बीमारी होने के बारे में जानकारी दी। उसने तुरंत साथ लगती मेडिकल शाप से उसे खांसी की दवाई दी गई। मेडिकल शाप में तैनात फार्मासिस्ट ने उसे कहा कि बच्चे को साढ़े पांच एमएल दवाई पीने के दे दो। लेकिन उसकी खांसी बंद नहीं हुई।
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वह अपनी पत्नी व दूसरे बच्चे के साथ लेकर मध्य रात्रि को बद्दी अस्पताल लाया गया। वहां पर तैनात चिकितस्क अपने कमरे में आराम कर रहा था। वहीं पर तैनात सुरक्षा कर्मी व चौकीदार भी नशे में था। काफी देकर भूपेंद्र अपने बच्चे को दिखाने के लिए गुहार करता रहा। तब तक चौकीदार बच्चे को उस कमरे में ले गया जहां पर चिकित्सक सोया हुआ था। चिकित्सक ने रजाई से मुंह निकाल कर उसे यह कहा कि अभी यहां पर कोई दवाई नहीं है। सुबह से साढ़े तीन बज गए है उसे सुबह लेकर आना। जिस पर भूपेंद्र अपनी पत्नी व बीमार बच्चे को लेकर अस्पताल के आगे बैंच पर बैठा रहा। बच्चे की तबियत ठीक होने की बजाए और बिगड़ गई और वह बेहोश हो गया।
दो घंटे तक बेहोशी की हालत में वह सुबह होने का इंतजार करने लगा और चिकित्सक चुपचाप सौ गया। उसके बाद भूपेंद्र ने टेंपू स्टैंड पर गया और वहां से एक टैंपू लेकर अस्पताल आया और बच्चे व पत्नी को लेकर झाड़माजरी कमरे गया। उसके कमरे के आगे एक टैक्सी खड़ी थी जिसके शीशे पर नंबर लिखा था। उसने उस नंबर पर काल किया और टैक्सी चालक उसी समय आ गया और उसे लेकर पीजीआई गया लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी और बच्चे ने वहां पर पहुंचते ही दम तोड़ दिया। उधर बीएमओ योगेश गुप्ता ने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है और इसकी जांच की जा रही है। अगर इसमें डॉक्टर दोषी करार पाया गया तो उसे पर कार्रवाई भी की जाएगी।
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