चंडीगढ़ः बेरोजगारी को लेकर केंद्रिय मंत्री ने बड़ा खुलासा किया है। जहां केंद्रिय मंत्री ने बेरोजगारी को लेकर चौकाने वाले आकंडे पेश किए। दरअसल, बेरोजगारी के यह आंकड़े राज्यसभा में श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने पूछे गए सवाल के जवाब में पेश किए हैं। बता दें कि इमरान प्रतापगढ़ी ने देश में बेरोजगारी दर पर यह सवाल संबंधित मंत्रालय से किया था। चंडीगढ़ की बेरोजगारी दर पूरे देश की औसत दर 3.2 प्रतिशत से भी लगभग दोगुनी है। चंडीगढ़ में पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या सबसे अधिक है। सेकेंडरी या इससे अधिक पढ़े लोगों की बेरोजगारी दर 4.5 प्रतिशत है। जिसमें उन्होंने कहा कि देश के सबसे शिक्षित शहरों में आने वाले चंडीगढ़ में बेरोजगार भी कम नहीं हैं। यहां पढ़े लिखे बेरोजगार की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
देश में चंडीगढ़ चौथे स्थान पर है जहां सबसे अधिक बेरोजगार हैं। यहां बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है। चंडीगढ़ से अधिक बेरोजगारी गोवा, केरल, अंडमान एंड निकोबार आइलैंड और लक्ष्द्वीप में ही है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में यह दर 3.4 और पंजाब में 5.5 प्रतिशत है। पंजाब और हरियाणा इन दोनों राज्यों की स्थिति भी चंडीगढ़ से बहुत बेहतर है। बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ना चिंता की बात है। बेरोजगारी बढ़ने के मुख्य कारण चंडीगढ़ में नए रोजगार का नहीं बढ़ना है। गवर्नमेंट सेक्टर के बाद इंडस्ट्री रोजगार का बड़ा स्त्रोत होता है। लेकिन चंडीगढ़ में इंडस्ट्री भी कम है। सीमित जमीन होने, नियम सख्त और सुविधाएं उस तरह से नहीं होने से से इंडस्ट्री दूसरे राज्यों में पलायन कर रही है।
पिछले तीन चार वर्ष में ही 150 से अधिक इंडस्ट्रीय यूनिट हरियाणा और पंजाब के शहरों में पलायन कर चुकी है। इंडस्ट्री के सामने प्लाट की लीज होल्ड बेस ट्रांसफर नहीं होना, बिल्डिंग मिसयूज वायलेशन और एमएसएमई स्कीम सही से लागू नहीं होना जैसी चुनौती है। बेरोजगारी दर बढ़ने की एक वजह यह भी है कि प्रशासन और नगर निगम में रेगुलर पदों की संख्या निरंतर घटती गई है। जिससे यह पद लगातार लैप्स होते चले गए। इसके बदले में आउटसोर्स कर्मी लगातार बढ़ते रहे। 2019-20 में नगर निगम के 3407 रेगुलर इंप्लाइज थे जो 2024-25 में घटकर 2362 ही रह गए। इसी दौरान आउटसोर्स इंप्लाइज 3072 से बढ़कर 6965 हो गए।