
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम जैसे ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेयर का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए। इसके तहत सरकार द्वारा चिह्नित की गई किसी भी सामग्री को 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। साथ ही देश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा। ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्मों को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ राष्ट्रविरोधी संदेशों के मूल स्रोतों की पहचान करनी होगी। अपराध सिद्ध होने पर 5 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
1.केंद्र सरकार डिजिटल कंटेंट को नियमित करने वाला कानून लाई है, ये अगले तीन महीने में लागू होगा. साधारण शब्दों में कहें तो डिजिटल प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनियों को तीन महीने का समय दिया गया है ताकि वे इन नए कानूनों के हिसाब से काम कर सकें.
2.सोशल मीडिया कंपनियों को एक ग्रीवांस मेकेनिज़्म रखना होगा और 15 दिनों में प्रॉब्लम को एड्रेस करना होगा. लगातार बताना होगा कि कितनी शिकायत आई और उस पर क्या कार्रवाई की गई. पहली खुराफात किसने की ये भी बताना होगा.
3.अगर भारत के बाहर से शुरू हुआ है तो ये भी बताना होगा कि किसने शुरू किया.
4.सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अफसरों की तैनाती करनी होगी, साथ ही भारत में भी प्लेटफॉर्म्स को अपने नोडल ऑफिसर, रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर की तैनाती करनी होगी.
5.किसी भी आपत्तिजनक कटेंट को 24 घंटे में हटाना होगा, हर महीने कितनी शिकायतों को निपटारा हुआ ये भी बताना होगा.
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6.अफवाह फैलाने वाला पहला व्यक्ति कौन है, उसकी जानकारी भी देना जरूरी है. इसमें भारत की संप्रभुता , सुरक्षा, विदेशी संबंध और रेप जैसे अहम मसलों को शामिल किया जाएगा.
7.जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया करता है वैसे ही डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी गलती पर माफी प्रसारित करनी होगी.
8.कोई गाइडलाइंस सभी पार्टियों पर भी लागू होंगी. फिर चाहे पार्टी विशेष से जुड़ा कोई व्यक्ति क्यों न हो.
9.ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया को अपने काम की जानकारी देनी होगी कि वे कैसे अपना कंटेंट तैयार करते हैं. इसके बाद सभी को सेल्फ रेगुलेशन को लागू करना होगा.
इसके लिए एक बॉडी बनाई जाएगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई अन्य व्यक्ति हेड करेंगे.