
राष्ट्रीय संत बावा बाल जी महाराज के सानिध्य में चल भागवत कथा
ऊना/सुशील पंडित: श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में परम पूजनीय राष्ट्रीय संत बावा बाल जी महाराज के सानिध्य में चल रहे वार्षिक महोत्सव में श्रीमद् भागवत कथा प्रवचन में कथावाचक वेदांती जी ने अपने मुखविंद से प्रवचनों की अमृत बर्षा करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सभी प्राणों का ह्रदयमय रस है और श्री हरि और इनके द्वारा रचित तथा अंनत है उसका हमें दिल और ध्यान लगाकर श्रवण करना चाहिए। उन्होने कहा कि गुरू और संतो के बताए हुए मार्ग पर हमें चलना चाहिए, इसी में हमारे जीवन का भला है।
उन्होने बताया कि इस धरती पर जीव अकेला पैदा हुआ था और अकेला ही इस संसार को छोडकऱ जाएगा। वह इस संसार में जो भी भले बुरे कर्म करता है उनका भुगतान भी उसे स्वंय ही करना पड़ता है। इसलिए इस मानव रूपी बंधनो को छोडकऱ हमें भगवान गुरू व संतो की शरण में रहकर उनके द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए, ताकि हमारे इस नश्वर रूपी जीवन का भला हो सके। उन्होंने कहा कि अगर हमें इस भवसागर को पार करना है तो हमें गुरू अवश्य बनाना चाहिए क्योंकि बिना गुरू के हमारी गति नहीं हो सकती।
गुरू बनाकर हमें अपने उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारना चाहिए। उन्होने कहा कि सच की राह पर चलना है तो संतो का सत्संग सुनना चाहिए, क्योंकि सत्संग से हमें विवेक रूपी जीवन की प्राप्ति होती है। उन्होने कहा कि अपने गुरू व माता पिता के समक्ष समर्पण का भाव रखें और इनका कभी भी निरादर न करें। उन्होने कहा कि मनुष्य की मान्यता, भावना, निष्ठा, रुचि एवं आकांक्षा के अनुरुप ही उसे सारा विश्व दिखाई पड़ता है। यह दृष्टिकोण बदल जाए तो मनुष्य का जीवन भी उसी आधार पर परिवर्तित हो जाता है।