ऊना/सुशील पंडित: समाजसेवी अधिवक्ता नरेश कुमार सैंसोवाल ने शुक्रवार को जारी बयान में नये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत महंगे चालानों पर सवाल खड़े किए है। कहा कि कोरोना काल में गंभीर आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही प्रदेश की जनता पर यह अतिरिक्त बोझ होगा। महंगे चालानों पर सरकार को पुर्नविचार करना चाहिए। नये नियमों में कई चालानों की कीमत तो इतनी रख दी है कि जितने का व्हीकल ही न हो। दूसरा कोरोना काल के कारण लोगों के रोजगार पर काफी प्रभाव पड़ा है। सरकार को शायद पता न हो कि हिमाचल में प्रति व्यक्ति की आय और राज्यों की बजाय 16 वें नंबर पर है। प्रदेश में डिपो राशन, सरसों का तेल, डीजल, पेट्रोल की महंगाई ने भी लोगों की पहले ही कमर तोड़ी हुई है। उपर से प्रति व्यक्ति की आय बहुत कम। विचारणीय है कि जो गरीब मजदूर एक स्थान से दूसरे स्थान पर मजदूरी करने जाता है। उसका तो ऐसी महंगाई में पारिवारिक खर्चा ही बड़ी मुश्किलों से चल रहा है। उपर से अगर चालान की मोटी रकम उसे किसी कारणवश अदा करनी पड़ी तो यह उसे कर्ज जैसे हालातों में धकेलने के बराबर होगा। नरेश कुमार सैंसोवाल ने कहा कि नये मोटर व्हीकल एक्ट को हालात सामान्य होने तक सरकार इसे पूर्व की तरह ही रहने दे तो यह लोगों के हित में होगा। अगर सरकार इस पर विचार नहीं करती तो रोड एक्सीडेंट में जिनकी मौत होती है। उसमें सरकार आपातकालीन राहत राजस्व विभाग नियमावली के तहत चार लाख रुपये पीड़ित परिवार को जारी करती है। उसे बढ़ाकर दस लाख रुपये करे।
महंगे चालानों पर पुनर्विचार करे सरकार: नरेश कुमार
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