
जयपुरः राजस्थान में अवैध शराब की सप्लाई रोकने के लिये नई आबकारी नीति (New excise policy) में विशेष प्रावधान किए गए हैं। उन पर अब अमल होना शुरू हो गया है। शराब उत्पादन से लेकर बेचने तक के सभी चैनल्स में ‘ट्रैक एंड ट्रैस’ पॉलिसी (Track & Trace ‘policy) लागू की जा रही है। इससे खरीदार को खरी शराब ही मिलेगी। इसके लिये अब शराब की बोतलों पर क्यूआर कोड (QR Code) लगाया जाएगा। इस क्यूआर कोड के जरिये ग्राहक उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकेगा। वहीं, शराब की दुकानों से भी शराब बोतल पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करके ही बेचा जा सकेगा।
राजस्थान में पिछले कुछ समय से मिलावटी शराब बड़ी समस्या बनकर उभरी है। इससे एक ओर जहां लोगों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न हो रहा है, वहीं सरकार को राजस्व की चपत भी लग रही थी। इस समस्या को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने नई आबकारी नीति में नई तकनीक के उपयोग का प्रावधान किया है। इसके लिए आबकारी विभाग ने 75 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला है। इसके तहत 250 करोड़ पॉलिस्टर बेस्ड क्यूआर कोड होलोग्राम छपवाए जाएंगे। ये होलोग्राम हर बोतल पर लगाए जाएंगे।
मॉनिटरिंग के लिए आबकारी विभाग की ओर से तैयार किए गए हाईटेक मैकेनिज्म के तहत शराब को उत्पादन से लेकर बिक्री तक ट्रैक एंड ट्रेस किया जा सकेगा। हर बोतल पर एक होलोग्राम लगाया जाएगा। इस पर लगे बार कोड से सभी तरह की जानकारी मिल पाएगी। जैसे शराब किस कंपनी की है। शराब का उत्पादन कब हुआ। शराब की बोतल को किस ठेके पर सप्लाई किया गया और कितने में बेची गई है। इसको भी ट्रैक किया जा सकेगा।
इस सिस्टम का फायदा यह होगा कि खरीदार को शुद्ध शराब मिल सकेगी। इसके लिए आबकारी विभाग की ओर से एक एप भी तैयार कराया जा रहा है। इस एप को डाउनलोड कर ग्राहक बोतल के बार कोड को स्कैन कर सभी तरह की जानकारी हासिल कर पाएगा। अगर शराब में मिलावट करने के लिए सील तोड़ी गई है तो बार कोड स्कैन नहीं होगा। ठेकेदार को भी बार कोड स्कैन करके बेचनी होगी।
दरअसल, मरुधरा में अवैध शराब बहुत बड़ी समस्या हो गई है। राजस्थान में दूसरे राज्यों की शराब बिकना पहले से ही विभाग के लिए चुनौती था। अब मिलावटी शराब का प्रचलन भी बढ़ गया है। शराब माफियाओं द्वारा नकली ढक्कन लगाकर सस्ती शराब बेचने के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में ट्रैक एंड ट्रैस पॉलिसी के जरिये अवैध और मिलावटी शराब पर अंकुश लगाने की तैयारी की जा रही है।