
सब जानते हुए भी कैंट प्रशासन बना हुआ मूकदर्शक..
जालंधर (वरुण/अनिल वर्मा)। कैंट में इन दिनों स्थानीय प्रशासन की नाक तले सरेआम अवैध निर्माण हो रहे हैं, हैरानीजनक बात तो यह है कि स्थानीय प्रशासन के अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी मूकदर्शक बने हुए हैं।
कैंट के मोहल्ला नंबर 22 में पूरी तरह से तोड़ कर मैदान बना कर उसका निर्माण किया जा रहा है और दूसरा फगवाडा़ रोड पर ही मेहल्ला नंबर 27 में दुकान का शटर बंद करके पीछे गली से आगे इमरात को पूरी तरह तोड़ कर मैदान बनाया गया है और दोबारा उसका नये सिरे से बनाने की तैयारी की जा रही है। जबकि कैंट बोर्ड के बिल्डिग ला के हिसाब से अगर किसी इमरात को पूरी तरह से तोड़ कर मैदान बनाया जाता है तो उस पर दोबारा निर्माण नहीं किया जा सकता है। लेकिन इन दोनों इमारतों को पूरी तरह से तोड़ कर मैदान बनाकर दोबारा नये तरीके से बनाया जा रहा है और इमरातों के मालिक कहते फिरते हैं कि उनके पास कैंट बोर्ड की अनुमित है।
सूत्रों की माने तो इन जगहों पर इस से सबंधित अधिकारी चक्कर लगा चुका है और काम रुकवाने की बजाय वहां से चलता बना। ऐसा यह कोई पहला मामला है नहीं, बल्कि इससे पहले भी कई इमरातें अवैध रूप से बनी हैं और वहां पर नालों पर अतिक्रमण भी किया गया है। लेकिन कैंट बोर्ड की ओर से उन पर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। कैंट बोर्ड किसी को भी नाले पर शटर लगाने की अनुमति नहीं देता है। लेकिन उसके बावजूद नई बनी इमारतों पर शटर नालों पर अतिक्रमण करके लगाये गये हैं। जो कि कैंट बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। जबकि कैंट बोर्ड ने कुछ समय 7 अक्तूबर 2020 में समाचार पत्रों में इश्तिहार निकाला था कि पुलियों, नाली-नालों आदि को कवर करके उन पर पक्के निर्माण कर अतिक्रमण किया गया है।
जिस कारण वहां से साफ सफाई करना सभंव नहीं होता है और वह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की श्रेणी में आता है और ऐसे अतिक्रमण को 10 दिन के भीतर हटाया जाना चाहित, वरना उन पर कैंट बोर्ड कार्यवाही करेगा। लेकिन कैंट बोर्ड की ओर से उन पर कोई कार्यवाही तो हुई नहीं बल्कि उस इश्तिहार के बाद नई इमरातें बनाने वालों ने भी नाली नालों पर अतिक्रमण कर लिया और कैंट बोर्ड प्रशासन देखता रहा।