
ऊना/सुशील पंडित: महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हाल ही में एक महत्वाकांक्षी गरिमा योजना शुरु की गई है। इस योजना के तहत महिला उद्यमियों के साथ-साथ अपने माता-पिता की देखभाल करनेे वाली बेटियों, बेटी की उच्च शिक्षा व प्रोफेशनल कोर्स करवाने वालों व उनके लिए ़ऋण लेने वाले परिवारों तथा बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया जा रहा है। इस बारे जानकारी देते हुए उपायुक्त उना राघव शर्मा ने बताया कि महिला सशक्तिकरण को और अधिक बल देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित किए जा रहे समारोह में जिला प्रशासन दो नई योजनाएं शुरु करने जा रहा है। इनमें संबल योजना बेसहारा व अनाथ बच्चों के लिए चलाई जा रही है जबकि नवजीवन योजना विधवा महिलाओं के आजीविका उपार्जन में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरु की जा रही है।
डीसी राघव शर्मा ने बताया कि संबल योजना के तहत बेसहारा व अनाथ बच्चों को सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि अक्सर देखा गया है कि घर के मुखिया का निधन हो जाने पर या किसी कारणवश लाचार हो जाने पर बच्चों की शिक्षा पर सीधा दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे बच्चे या तो शिक्षा से पूर्णतः वंचित रह जाते हैं या शिक्षा के लिए अन्य लोगों के सामने हाथ फैलाने को बाध्य हो जाते हैं। भाग्य के कुठारघात के बाद शिक्षा न मिलने के कारण ऐसे बच्चे एक अच्छे जीवन से भी वंचित हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे कई मामले जिला प्रशासन के सामने सहायता के लिए आते है और यदि इन बच्चें को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता मिल जाए तो उनका जीवन संवर सकता है। राघव शर्मा ने बताया कि यह समाज का वह वर्ग है जो अति-गरीब और वास्तव में असहाय है तथा शिक्षा के लिए छोटी सी मदद इनका जीवन प्रकाश से भर सकती है। ऐसे अति-गरीब परिवार के इन पात्र बच्चों को मंदिर ट्रस्ट चिंतपूर्णी के माध्यम से “संबल” योजना के अंतर्गत शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
राघव शर्मा ने बताया कि विधवा महिलाओं को आजीविका उपार्जन के लिए नव जीवन योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि समाज में कई बार घर के कमाने वाले सदस्य की अकस्मात मृत्यु के कारण महिलाओं को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। परिवार में यदि बच्चे हो तो उनके पालन-पोषण एवं शिक्षा की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर आ जाती है। ऐसे परिवार को आजीविका उपार्जन के लिए आर्थिक सहायता देने की आवश्यकता है। डीसी ने बताया कि यदि ऐसी महिलाएं प्रशिक्षित होकर अपना काम शुरू करने में सक्षम हो जाएं तो परिवार को नया जीवन मिल सकता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई विधवा महिला आजीविका के लिए तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना काम शुरू करना चाहती है तो मंदिर ट्रस्ट चिंतपूर्णी के माध्यम से उसे आर्थिक सहायता नव-जीवन योजना के अंतर्गत प्रदान की जाएगी।
संबल योजना के लिए पात्रता एवं जरूरी दस्तावेज
डीसी ने बताया कि संबल योजना का लाभ लेने के लिए बेसहारा व अनाथ बच्चे, जिन बच्चों के पिता का निधन हो चुका है, जिन बच्चों के पिता उनकी माता को छोड़ चुके हैं, जिन बच्चों के पिता किसी बीमारी की वजह से बिस्तर पर है, जिन बच्चों के पिता मानसिक रूप से ठीक नहीं है व अनाथ या अति-निर्धन परिवारों के बच्चे पात्र होंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी के पास बच्चें की पात्रता से संबंधित दस्तावेज, संस्थान की फीस का प्रमाण पत्र, आधार नंबर व वार्षिक आय 50,000 रूपये से कम होने का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।
नव-जीवन योजना के लिए जरूरी दस्तावेज
इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को पति की मृत्यु प्रमाण पत्र, परिवार रजिस्ट्री की प्रति, आधार नंबर, संस्थान की फीस का प्रमाण पत्र व सालाना आय 50,000 रूपये से कम होने का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि इन योजनाओं बारे अधिक जानकारी के लिए जिला कल्याण अधिकारी के दूरभाष नंबर 01975-226056 और जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के नंबर 01975-228499 पर संपर्क किया जा सकता है।