
नई दिल्ली. अगर आप केंद्रीय कर्मचारी हैं तो मौजूदा महामारी के बावजूद भी निकट भविष्य में सैलरी बढ़ोतरी की उम्मीद कर सकते हैं. दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था की हालत दुरुस्त की जाए. इसके लिए खपत बढ़ाना बेहद जरूरी है. अब केंद्र सरकार चाहती है कि केंद्रीय कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा दिए जाएं, ताकि वो बाजार में ज्यादा खर्च कर सकें और खपत बढ़े. श्रम मंत्रालय ने महंगाई भत्ते के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को साल 2001 से बदलकर 2016 कर दिया है.
श्रम मंत्रालय द्वारा इस बदलाव का मतलब है कि कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता कैलकुलेट करने के लिए मौजूदा खपत पैटर्न (Cousumption Pattern) और महंगाई दर को ध्यान में रखा जाएगा. पहले चिंता जताई जा रही थी कि पहले के इंडेक्स में समय के साथ बदलाव करने की जरूरत है.
बीते कुछ समय में देखें तो हेल्थेकयर और ईंधन से लेकर घर-गृहस्थी तक के खर्च में इजाफा हुआ है. नये बेस इंडेक्स में इन बातों को ध्यान रखा जाएगा, ताकि केंद्रीय कर्मचारियों को इसका लाभ मिल सके. लेकिन, सरकार महंगाई भत्ते में तुरंत कोई बढ़ोतरी नहीं करने वाली है.
इसी साल मार्च में केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 4 फीसदी का इजाफा किया था. अप्रैल में कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए इसे जून 2021 तक के लिए टाल दिया गया था. केंद्रीय कर्मचारियों को अभी भी 17 फीसदी की दर से ब्याज महंगाई भत्ता मिल रहा है. श्रम मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि फिलहाल महंगाई भत्ते में कोई बदलाव नहीं होगा.
नये प्राइस इंडेक्स का प्रभाव अगले साल के मध्य से देखने को मिल सकता है. सीधे तौर पर इसका लाभ 45 लाख कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलेगा. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भले ही महंगाई भत्ते में कोई इजाफा न हो, लेकिन प्राइस इंडेक्स में मामूली बदलाव से भी उनकी सैलरी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है.