
अमृतसरः पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को केंद्र सरकार ने सूचित किया कि खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह को लोकसभा सत्र के दौरान 54 दिनों की छुट्टी दी गई है। यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ के समक्ष दी गई। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब लोकसभा अध्यक्ष ने सांसदों की छुट्टी के मामलों की जांच के लिए 15 सदस्यीय समिति का गठन किया है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन और अधिवक्ता धीरज जैन ने अदालत को 11 मार्च को लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी पत्र प्रस्तुत किया। इसमें अमृतपाल सिंह को 24 जून से 2 जुलाई, 22 जुलाई से 9 अगस्त और 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2024 तक की अनुपस्थिति की अनुमति दी गई है। अदालत ने इस पत्र को संज्ञान में लेते कहा कि याचिकाकर्ता की संसद से निष्कासन को लेकर व्यक्त की गई आशंका अब दूर हो गई है।
वहीं अमृतपाल सिंह के वकील ने कहा कि उन्हें लोकसभा सेशन में शामिल होने की भी इजाजत दी जाए। इस पर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दो आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि इन दोनों आदेशों में सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि कोई भी आरोपी जो कस्टडी में या डिटेंशन में हो, उसे सेशन में शामिल होने की इजाजत नहीं है। इस लिहाज से यह साफ है कि अमृतपाल सिंह सेशन में शामिल होने का अधिकारी नहीं है। इसके बाद अमृतपाल सिंह के वकील ने कहा कि सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के एमपी लैड फंड नहीं मिल रहा, जिस पर हाईकोर्ट ने अमृतपाल सिंह के वकील को कहा कि वे इसके लिए लोक सभा स्पीकर को रिप्रजेंटेशन दे सकते हैं।
अमृतपाल सिंह की लोकसभा क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के तहत अधिकारियों और मंत्रियों से मिलने की अनुमति की मांग पर अदालत ने कहा कि यह विषय संसद के नियमों के अधीन आता है, इसलिए उन्हें लोकसभा अध्यक्ष को इस संबंध में औपचारिक अनुरोध भेजना चाहिए। अमृतपाल सिंह, जो ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नेता भी हैं, वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत डिब्रूगढ़ केंद्रीय जेल में बंद हैं। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता आर. एस. बैंस के माध्यम से अदालत में याचिका दायर कर संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। उनका तर्क था कि उनकी लंबी अनुपस्थिति न केवल उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के 19 लाख मतदाताओं को भी प्रतिनिधित्व से वंचित कर रही है।
उन्होंने कहा कि अगर उनकी गैरहाजिरी 60 दिनों से अधिक होती है, तो उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो सकती है। उन्होंने 30 नवंबर 2023 को लोकसभा अध्यक्ष को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें बताया गया कि वह पहले ही 46 दिनों की गैरहाजिरी पूरी कर चुके हैं। इस संबंध में उन्होंने उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट को भी पत्र भेजा था, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने न्यायालय का रुख किया।