
नशा हमें ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को तबाह कर देता है-डां अशु शर्मा
बद्दी/सचिन बैंसल: सामाजिक संस्था हिमालया जनकल्याण समिति ने बरोटीवाला के झाडमाजरी स्थित शिक्षण संस्थान बददी टैकनीकल ट्रेनिंग इंस्टीटयूट में नशा निवारण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर कांत मैमोरियल वैल्फेयर ट्रस्ट के चेयरमैन डा अंशु शर्मा ने शिरकत की वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता बीटीटीआई के प्रधानाचार्य जयदीप अग्रवाल ने की। महिला पक्ष से विशिष्ट अतिथि के तौर पर सेवा भारती बददी की उपाध्यक्ष डिंपल परमार उपस्थित हुई। डा अंशु शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में चिट्टा जैसे नशे का पहुंचना दुर्भाग्यपूर्ण है। उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि प्रदेश के भोले भाले युवा मौत की इस पुडय़िा के झांसे में आ रहे हैं। चिट्टा कोई नशा नहीं है, यह सीधा सीधा जगर की डायरेक्ट डोज है जो कभी तुरंत असर कर देती है तो कभी कभी धीरे धीरे युवाओं को मौत के सफर पर ले जाती है।
डा. अंशु ने बताया कि यह हैरानी की बात है कि विभिन्न प्रदेशों में इस तरह के उद्योग भी पहुंचने शुरू हो गए थे, जिनमें यह सिंथेटिक नशा तैयार हो रहा था। यह नशा पाकिस्तान से होकर पंजाब आता है और फिर देवभूमि पहुंंचता है। इस नशे के सेवन से चंद क्षणों में ही इसे लेने वाला युवा अचेत हो जाता है। इसका सीधा प्रभाव दिमाग, दिल, फेफड़ों पर पड़ता है और शरीर में ऑक्सीजन तक की कमी हो जाती है। यह ऐसा नशा है जिसकी चंगुल में आदमी पड़ जाने के बाद छूट नहीं पाता है। कोई किसी बड़े प्रयासों के बाद छूट भी जाता है तो उसमें दिमाग व शरीर अन्य अंगों पर उस समय तक गहरा असर पड़ चुका होता है। इसके सेवन से हमारी सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है।