
ऊना/ सुशील पंडित : हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला अपनी विराट धार्मिक और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के चलते अब मंदिरों की नगरी के रूप में एक नई पहचान बना रहा है। यहां के प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक मेले और धार्मिक उत्सव न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं। हिमाचल सरकार के प्रयासों से इन स्थलों का विकास, सौंदर्यीकरण और विस्तार किया जा रहा है, जिससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ हो रही है।
हिमाचल सरकार ऊना जिले में धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर विशेष ध्यान दे रही है। जिला में विश्व विख्यात माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जोकि लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। श्री चिंतपूर्णी जी के भव्य भवन निर्माण और श्रद्धालुओं की सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 250 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं जिले में डेरा बाबा श्री रूद्रानंद जी महाराज और डेरा श्री जोगी पंगा में लोगों की अगाध आस्था है। ऊना जिले में श्री किला बाबा बेदी साहिब जी, श्री गुरुद्वारा दुखभंजन साहिब जी, डेरा बाबा बड़भाग सिंह जी, पीर निगाह, बाबा गरीब नाथ जी, शिव बाड़ी, ब्रह्मोती सरोवर, श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां, चमुखा मंदिर बंगाणा, सदाशिव मंदिर, बनौड़ महादेव, महादेव मंदिर कोटला समेत धार्मिक श्रद्धा के अनेक पवित्र स्थल हैं। वहां सुविधाओं के विकास में हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है।


धार्मिक स्थलों के विकास से न केवल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि स्थानीय व्यापार, होटल उद्योग और परिवहन सेवाओं को भी गति मिली है। इससे होटल, भोजनालय और हस्तशिल्प व्यवसाय से जुड़े लोगों को सीधा लाभ मिल रहा है। पर्यटन के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं, जिससे ऊना की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है।
ऊना जिले में पारंपरिक धार्मिक उत्सव और मेले यहाँ की संस्कृति की आत्मा हैं। हिमाचल सरकार इन मेले-महोत्सवों को बड़े पैमाने पर आयोजित कर अपनी परंपराओं को सहेजने और बढ़ाने के साथ ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को भी नए आयाम देने में लगी है। इसी मकसद से साल 2024 में पहली बार अंब में माता श्री चिंतपूर्णी महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया, जिसे लोगों ने खूब सराहा। वहीं हर साल होने वाले बंगाणा का पिपलू मेला और अंब का होली मैड़ी मेला लोगों की श्रद्धा का केंद्र हैं। पिछले कई वर्षों से बाबा बाल जी द्वारा फरवरी माह में आयोजित धार्मिक सम्मेलन श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण रहता है।
इस बार लंबे इंतजार के बाद, राज्य स्तरीय हरोली उत्सव एक बार फिर अपनी पूरी भव्यता के साथ आयोजित होने जा रहा है। राज्य स्तरीय हरोली उत्सव हरोली के कांगड़ मैदान में पूरे भव्यता के साथ आयोजित किया जाएगा। जिला प्रशासन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के दिशा निर्देशों के अनुरूप इस उत्सव को यादगार और जनसहभागिता से भरपूर आयोजन बनाने पर जोर दे रहा है। 27 अप्रैल को भव्य शोभायात्रा के साथ उत्सव का विधिवत शुभारंभ होगा। 27, 28 और 29 अप्रैल की सांस्कृतिक संध्याएं इस महोत्सव का आकर्षण होंगी, जहां दिन में स्थानीय शिक्षण संस्थानों और सांस्कृतिक समूहों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां दी जाएंगी। वहीं संध्या समय स्थानीय कलाकारों व हिमाचल के प्रसिद्ध कलाकारों के साथ राष्ट्रीय स्तर की दिग्गज हस्तियां अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से मंच को जीवंत करेंगी। यह उत्सव एक माह तक चलेगा, जिसमें कांगड़ मैदान में पूरे महीने भर ट्रेड फेयर आयोजित किया जाएगा। इस मेले में प्रदेश और देशभर के स्वयं सहायता समूहों एवं व्यावसायिक संस्थानों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा, जिससे स्थानीय उद्यमिता और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ऊना जिले को धार्मिक पर्यटन के हब के रूप में विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, जो कला एवं संस्कृति विभाग का भी दायित्व संभाल रहे हैं, का कहना है कि पारंपरिक वास्तुकला और आधुनिक सुविधाओं के समावेश से मंदिरों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य न केवल मंदिरों को भव्य रूप देना है, बल्कि इनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना भी है। सरकार के प्रयास जहां श्रद्धालुओं की धार्मिक यात्रा को सुखद बनाने पर केंद्रित हैं वहीं स्थानीय लोगों के लिए स्वरोजगार के नए अवसरों का द्वार भी खोल रहे हैं।