
जालंधरः अदालत ने पंजाब के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए पहली कक्षा में 25% सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया। वहीं मामले की जानकारी देते हुए आज पूर्व आईएएस अधिकारी व भाजपा नेता डॉ. जगमोहन सिंह राजू ने प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय और शिक्षा सुधारों को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय को संभव बनाया। जिसमें 2009 के शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के कार्यान्वयन का निर्देश दिया गया। अदालत ने पंजाब के सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कमजोर वर्गों के बच्चों के लिए पहली कक्षा में 25% सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया ताकि वे मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें।
पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. राजू ने कहा कि माननीय मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति हरमीत सिंह ग्रेवाल द्वारा जारी यह अंतरिम आदेश सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करता है और सामाजिक असमानताओं को कम करता है। दरअसल, राजू ने 20 दिसंबर, 2024 को एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करके इस कानूनी लड़ाई का नेतृत्व किया था। जिसमें उन्होंने पंजाब सरकार के आरटीई नियम 2011 के नियम 7 (4) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। उनके निरंतर प्रयासों ने उन प्रणालीगत बाधाओं को उजागर किया। जिन्होंने हजारों बच्चों को उनकी शिक्षा से वंचित कर दिया था। माननीय उच्च न्यायालय ने उनके तर्क से सहमति व्यक्त की और उक्त नियम को आरटीई अधिनियम की धारा 12 (1) (सी) के खिलाफ मानते हुए रद्द कर दिया।
डॉ. राजू ने कहा, “यह अंतरिम आदेश न केवल एक कानूनी जीत है, बल्कि हर उस बच्चे के लिए एक नैतिक जीत भी है जो वित्तीय बाधाओं के कारण शिक्षा से वंचित है। माननीय न्यायालय ने वंचित बच्चों को आशा की एक नई किरण दी है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रशासन माननीय उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करे। वहीं राजू लीगल ट्रस्ट के ट्रस्टी, अधिवक्ता कृष्ण दयामा ने कहा कि ट्रस्ट ने यह जनहित याचिका दायर की क्योंकि पंजाब में आरटीई अधिनियम को लागू नहीं करने के कारण हजारों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित थे।
डॉ. राजू ने अब इस अंतरिम आदेश के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी का आह्वान किया है और सरकारी अधिकारियों और सामाजिक संगठनों को इसके अनुपालन की सक्रिय रूप से निगरानी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। डॉ. राजू ने कहा कि वह अब यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं कि पात्र बच्चे और उनके परिवार अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों और अपने अधिकारों का दावा कर सकें। उन्होंने प्रवेश प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और निजी स्कूलों द्वारा किसी भी मनमानेपन को रोकने के लिए एक मजबूत निगरानी प्रणाली का भी आह्वान किया।