12 लाख रुपए के आसपास की रकम फ्री ,विदेश कंबोडिया से चल रहा गिरोह
ऊना/सुशील पंडित: पुलिस अधीक्षक राकेश सिंह के दिशा दिशा निर्देश अनुसार तथा उप पुलिस अधीक्षक मोहन रावत की अगुवाई में पुलिस थाना हरोली की टीम में थाना प्रभारी सुनील कुमार संख्यान के नेतृत्व में एक बार फिर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया है। 4 दिसंबर को हुई रिपोर्ट जिसमें डिजिटल अरेस्ट के बहाने आरोपियों ने एक व्यक्ति से 61 लाख रुपए की ठगी कर ली थी को सुलझाने के लिए थाना प्रभारी सुनील कुमार ने पूरी योजना के तहत कार्य करके उपनरीक्षक चेतन, मुख्य आरक्षी सुनील कुमार आरक्षी रोहित तथा आरक्षी अंकुश के रूप में एक टीम गठित करके आरोपियों को पकड़ने के लिए राजस्थान भेजी थी जो टीम ने तत्परता से कार्य करते हुए 72 घंटे के अंदर एक आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की है आरोपी 10% कमीशन लेकर अपने खातों में पैसे डलवा कर आगे , अगली टीम को भेज रहा था। आरोपी की पहचान रोशन यादव वार्ड नंबर पांच मेला की दा चूमो जयपुर दोबलाई गोविन्द गढ़ अलवर राजस्थान के रूप में हुई है।
आरोपी को गिरफ्तार करके पुलिस हरोली ले आई है जिसे आज अदालत में पेश करके 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा । जहां से ओर खुलासा होने की संभावना है इससे पहले पुलिस ने आरोपितों के द्वारा की गई व्हाट्सएप कॉल को भी ट्रेस कर लिया जो पाया गया कि कॉल करने वाले ग्रुप के मुखिया कंबोडिया में बैठकर विदेश से ठगी का कार्य कर रहे हैं जिस पर आइंदा नियम अनुसार कार्रवाई कमल मिलाई जा रही है विदित रहे के हरोली थाना क्षेत्राधिकार के में एक व्यक्ति के साथ डिजिटल अरेस्ट के बहाने साथियों ने 61 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी की है इस संदर्भ में हरोली पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था और कार्रवाई अमल में लाई जा रही थी।
डिजिटल अरेस्ट आरोपियों द्वारा अपनाई जा रही एक नई थ्योरी है जिसके अनुसार लोगों को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट या अन्य एक्ट का हवाला देकर और सीबीआई या अन्य बड़ी एजेंसी ईडी के डर से लोगों को ठगा जाता है और उनके बैंक अकाउंट में कितनी धनराशि है का पता करके व्हाट्सएप के माध्यम से कॉल करके लगातार उन पर डर बनाया जाता है कि वह घर से बाहर न निकले और जब भी निकले तो वह उनकी नजर में रहे । ऐसे केसों में पुलिस की राह आसान नहीं होती इस केस में यह पाया गया है कि शिकायतकर्ता से आरोपियों ने पांच अलग-अलग राज्यों के बैंक खाता में पैसा डलवाया है जहां पर अभी पुलिस को दबिश देकर आरोपियों की पहचान करके गिरफ्तारी करनी है लेकिन 72 घंटे के अंदर आरोपी की पहचान करके राजस्थान से पकड़ना अपने आप में एक सफलता है।