नई दिल्ली: कनाडा को लंबे समय से भारतीय छात्रों और वर्कर्स के लिए सबसे बढ़िया देश माना जाता रहा है। दरअसल, कनाडा की यूनिवर्सिटीज में छात्रों को आसानी से एडमिशन मिल जाता है। इसी तरह से भारतीय वर्कर्स भी आसानी से कनाडा में नौकरी हासिल कर पाते हैं। हालांकि, भारत के साथ राजनयिक विवाद के बाद तस्वीर बदल गई है। भारत-कनाडा टेंशन की वजह से इमिग्रेशन बैकलॉग लगातार तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। इमिग्रेशन बैकलॉग बढ़ने के चलते भारतीयों को काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
नवंबर 2024 तक का कनाडा का इमिग्रेशन बैकलॉग अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच चुका है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि लगभग 25 लाख आवेदन प्रोसेसिंग में है। इनमें से लगभग 11 लाख आवेदन सामान्य प्रोसेसिंग समय से ज्यादा टाइम ले रहे हैं। इमिग्रेशन बैकलॉग कई वजहों से हो रहा है, जिसमें बढ़ती मांग, स्टाफ की कमी और वैश्विक घटनाएं हैं, जिनसे प्रोसेसिंग क्षमता पर असर पड़ रहा है। भारतीय आवेदकों के लिए हालात ज्यादा चिंताजनक हैं। कनाडा में आने वाले विदेशी नागरिकों का सबसे बड़ा स्रोत भारत ही है। यहां से हर साल लाखों लोग कनाडा जा रहे हैं। इस वजह से वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन किए जा रहे हैं।
हालांकि, कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव ने देरी को और बढ़ा दिया है। भारत में कनाडाई राजनयिक कर्मचारियों की कमी की वजह से भारतीय वीजा के लिए प्रोसेसिंग समय लंबा हो गया है, जिससे हजारों आवेदक प्रभावित हुए हैं। इमिग्रेशन बैकलॉग के चलते कनाडा जाने की सोच रहे भारतीय काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लंबे प्रोसेसिंग समय का मतलब है कि आवेदकों को अपने स्टडी परमिट, वर्क वीजा और परमानेंट रेजीडेंसी आवेदनों पर फैसले का इंतजार करने में लंबा समय लग रहा है। यह अनिश्चितता उनकी पढ़ाई और नौकरी के प्लान को बिगाड़ सकती है। इसके अलावा, कनाडा और भारत के बीच राजनयिक विवाद ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।
भारत में कनाडाई राजनयिक कर्मचारियों की कमी ने कई भारतीय आवेदकों को असमंजस में डाल दिया है। उन्हें नहीं पता कि उनके आवेदनों पर कब फैसला आएगा। मौजूदा हालात की वजह से उनकी ना सिर्फ भविष्य की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि उन्हें मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है। कई छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है और लोगों के हाथ से नौकरी के मौके छिटक रहे हैं। इस अनिश्चिता ने उनके जीवन में परेशानियां खड़ी कर दी हैं।