ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच सेंसेक्स और निफ्टी 50 में गिरावट के कारण बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 1,6769.19 अंक का गोता लगाते हुए 82,497.10 और एनएसई निफ्टी 546.80 अंक फिसलकर 25,250.10 पर बंद हुआ है।
शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों में 10.56 लाख करोड़ रुपए की कमी से कुल संपत्ति 464.3 लाख करोड़ रुपए रह गई है। इस सप्ताह की शुरुआत में ईरान द्वारा इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च करने के बाद मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष को से यह खतरा बढ़ गया कि यदि यह जारी रहा तो क्षेत्र से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
भारतीय शेयर बाजार में यह गिरावट अन्य एशियाई बाजारों में नुकसान के अनुरूप थी क्योंकि मिडिल ईस्ट में जारी टेंशन के बीच निवेशकों ने जोखिमों से दूरी बनाए रखना ही उचित समझा है।
- ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच गुरुवार को भारतीय शेयरों में गिरावट आई है। रिपोर्टों के मुताबिक, इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान में ग्राउंड ऑपरेशन के दौरान एक टीम कमांडर सहित आठ सैनिकों की मौत की पुष्टि की है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार नियामक सेबी द्वारा वायदा और विकल्प (एफएंडओ) सेगमेंट में नियमों को सख्त करने का हालिया फैसला भी शेयर बाजार में गिरवाट की एक वजह है।
- भारत में इन्वेस्टर्स चीनी शेयरों के पुनरुत्थान को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि हाल के वर्षों में चीनी शेयरों ने भी बहुत खराब प्रदर्शन किया है। पिछले सप्ताह चीनी सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन उपायों की घोषणा के बाद, विश्लेषकों ने चीनी शेयरों में निरंतर वृद्धि की भविष्यवाणी की है, जिससे भारत से धन के संभावित आउटफ्लो को बढ़ावा मिलेगा।
- ईरान की ओर से इजरायल पर मिसाइल दागने के बाद से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं। मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से प्रमुख उत्पादकों से सप्लाई बाधित हो सकता है। ब्रेंट क्रूड थोड़े समय के लिए 75 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 72 डॉलर से ऊपर हो गया, दोनों बेंचमार्क पिछले तीन दिनों में लगभग 5% बढ़े हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।