ऊना/सुशील पंडित: उपमंडल बंगाणा की हिमुडा कलौनी में चल रही श्री मद देवी भागवत के तृतीय दिवस पर कथा व्यास आचार्य डॉ सुमन शर्मा ने कहा कि व्यास सूत ऋषि में शौनक आदि हजारों ऋषियों को श्री देवी भागवत कथा प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब कभी भी मनुष्यों या फिर देवताओं पर कोई कष्ट पड़ा भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में पहुंचकर उनकी रक्षा की है। श्री हरि ने देवताओं और भक्तों के कल्याण के लिए वामन, मत्यस्य, कच्छप और नरसिंह सहित अन्य कई रूप धारण किए हैं।
कथा व्यास ने कहा कि ग्रंथों में ऐसे ही एक और स्वरूप की कथा मिलती है, जिसका उद्देश्य हयग्रीव नामक दैत्य से देवताओं को मुक्ति दिलाना था। कथा व्यास ने कहा कि श्री मद देवी भागवत कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु वैकुंठ धाम में एक धनुष की डोरी के सहारे काफी गहरी नींद में सो गए थे। उसी समय स्वर्ग लोक में हयग्रीव नामक दैत्य ने अपनी सेना सहित खूब आंतक मचा रखा था। देवताओं के उससे लड़ने के सभी प्रयास विफल साबित हो रहे थे। तभी सब अपनी समस्याएं लेकर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं को श्री हरि विष्णु के पास जाने को कहा। इसपर सभी वैकुंठ लोक पहुंचे, वहां देखा कि नारायण तो गहरी निद्रा में लीन हैं। सभी परेशान होकर फिर से ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। उनसे बताया कि श्री हरि तो निद्रा में लीन हैं। तब ब्रह्मा जी ने विष्णु को जगाने के लिए वम्री नामक कीड़े जो दीमक के नाम से प्रसिद्ध है ,उसको भेजा।
कथा व्यास ने कहा कि उस कीड़े ने जाकर धनुष की डोर को काट दिया। जिसके सहारे नारायण सो रहे थे। कीड़े के डोर को काटते ही उसी डोर से भगवान विष्णु का शीश कट गया।भगवान विष्णु का शीश कटते ही समस्त ब्रह्मांड में अंधेरा छा गया। देवता परेशान हो गए कि यह क्या हो गया? अब क्या होगा? तभी ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं को देवी भगवती की स्तुति करने के लिए कहा। कथा व्यास ने कहा कि आराधना से मां भगवती प्रसन्न हुईं और देवताओं को दर्शन देकर बताया कि यह सब कुछ दैत्य हयग्रीव के वध निमित्त हुआ है। उन्होंने बताया कि अश्वमुखी हयग्रीव ने तपस्या करके यह वरदान प्राप्त किया है कि उसे कोई अश्वमुखी मनुष्य ही मार सकता है। इसीलिए श्री हरि विष्णु का यह रूप लेना ही था। इसके बाद नारायण को घोड़े का सिर लगाया गाया और उन्होंने दैत्य हयग्रीव का संहार किया। इसके बाद देवताओं को स्वर्ग लोक प्राप्त हो गया।
कथा व्यास ने कहा कि कथा सुनने का एक महत्व है। कथा श्रवण करते समय मन को एकाग्र रखकर कर भगवान के चरणों का ध्यान करते हुए कथा श्रवण करनी चाहिए। ताकि कथा का सार हमारे मन में आकर हमें प्रभु के साकार दर्शन हो सकें। उन्होंने कहा कि प्रभु सिमरन ही मनुष्य को भव सागर पार करवा सकता है ,ओर प्रभु सिमरन से मनुष्य सफलता की मंजिल को प्राप्त करता है। कथा विराम के बाद सभी श्रद्धालुओं को भंडारे का प्रसाद वितरण किया गया। ओर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण करके भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। ज्ञात रहे बंगाणा हिमुडा कलौनी में प्रथम बार हो रही श्री मद देवी भागवत कथा को सुनने के लिए श्रोतागणों की भीड़ देखी जा रही है।
हालांकि इससे पहले श्री मद भागवत कथा श्री राम कथा होती आई है। लेकिन इस बार आयोजकों द्वारा श्री मद देवी भागवत कथा सुनाने के लिए कथा व्यास आचार्य डॉ सुमन शर्मा से निवेदन किया है। इस मौके पर दीवा साड़ी एप्प के फाउंडर एवं सीईओ देश के प्रथम युवा व्यवसाई अंकुश वर्जाता, हंसराज वर्जाता,ज्योति वर्जाता, विनोद कुमार सेंटी, आर बी राणा, माया देवी मदन गोपाल बोहरा, राजन सोनी,बिंदू सोनी, अजमेर सिंह कुटलैहडिया,रणबीर पठनीया, कुशला पठनीया, विनोद कुमार शर्मा, अंजू शर्म, बबीता कुटलैहडिया, शिव कुमार वर्जाता,सुमन वर्जाता, रक्षा सोनी,मधु बोहरा,सुशील बाबा,सुरेन्द्र राणा, राकेश शर्मा,बलदेव शास्त्री,नरेंद्र शर्मा, कमल देव शास्त्री आदि सैकंडों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।