गुरदासपुर: देश के युद्ध नायकों की वीरगाथाओं को याद करने के लिए स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस ही काफी नहीं है। भारत के शहीदों और युद्ध वीरों की वीरता की हर दिन एक नई मि्साल सामने आती रहती है, जिसके आगे पूरा देश सिर झुकाता है। ऐसे ही एक नायक हैं दीप चंद, जो भारतीय सेना में गनर हैं, जो कि तीन प्रमुख सैन्य अभियानों, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन फतेह (कारगिल) और ऑपरेशन पराक्रम और अपनी बंदूकों (बोफोर्स) सहित कई सैन्य अभियानों के नायक रहे हैं।
कारगिल युद्ध में दुश्मन सेना पर 15,000 से अधिक गोले दागे और पहाड़ियों के पीछे फेंके गए 10,000 गोले दागकर दुश्मन सेना की महत्वपूर्ण चौकियों को उड़ाकर युद्ध जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिसमे दीप चंद ने अपने दोनों पैर और एक हाथ खो दिया जब उनकी ही तोप का एक गोला समय से पहले फट गया। जिससे उनका पूरा पेट भी फट गया था लेकिन 3 साल के इलाज के बाद वह स्वस्थ हैं लेकिन देश के प्रति अपने जुनून के कारण उनके दोनों पैर ना होने के बावजूद उनहोंने ने कभी हार नहीं मानी और ना नहीं रुके।
अब उन्होंने नासिक को अपनी मातृभूमि बनाकर बिना एक हाथ और दोनों पैरों के सियाचिन से अपनी यात्रा शुरू की है। उद्देश्य युद्ध नायकों और शहीदों की कहानियाँ, जो अभी भी दुनिया से छिपी हुई हैं, वह सब दुनिया के सामने लाना और युद्ध नायकों और शहीदों के परिवारों की समस्याओं को जानना जरुरी है। 13 आतंकियों को ढेर कर शहीद हुए गुरदासपुर के लेफ्टिनेंट नवदीप सिंह और शहीद हुए गांव पनियार के रहने वाले रणवीर सिंह के परिवार से मिलने पहुंचे। इस दौरान शहीद परिवार संघ के राष्ट्रीय महासचिव कुंवर विक्की भी उनके साथ रहे।