अमृतसरः शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को लेकर आज चुनाव के जरिए वोटिंग की जाएगी। जिसके बाद वोटिंग के जरिए नया प्रधान चुना जाएगा। इसके लिए गोल्डन टेंपल स्थित तेज सिंह समुंद्री हाल में वोटिंग चल रही है। इससे पहले अरदास की गई। SGPC के कुल 148 सदस्य हैं। वहीं आज अकाली दल अमृतसर की तरफ से तेजा सिंह समुंद्री हाल के बाहर प्रदर्शन किया जा रहा है। यह प्रदर्शऩ ईमान सिंह मान द्वारा किया जा रहा है। मामले की जानकारी देते हुए मान सिंह ने कहा कि यह चुनाव शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधंक कमेटी के चुनाव नहीं है।
मान सिंह का कहना है कि एसजीपीसी के चुनाव 2011 में हुए थे। उन्होंने कहा कि यह वह चुनाव नहीं हुए है। उन्होंने कहा कि चुनाव करवाने की 5 साल की लिमिट है। ऐसे में 2011 के बाद से 2024 तक चुनाव नहीं हुए है। मान सिंह का आरोप है कि धक्के से डिक्टेटर बनाए जा रहे है। मान सिंह ने राम रहीम के माफीनामे का जिक्र करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि कई स्वरूप गायब हो चुके है। वहीं बरगाड़ी हत्याकांड मामले में कई गंभीर आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली चुनाव नहीं करवाती ऐसे में यह भी दिल्ली के कटपुतले बन गए है। मान सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कोई सिख इस चुनाव में वोटिंग करेंगा।
वहीं बीबी जागीर कौर और हरजिंदर धामी पर मान सिंह ने कई गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि तंबाकू की कंपनी से अकाली दल ने पैसे लिए है। मान सिंह ने कहा कि भारत देश सिखों को तोड़ रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा डिवाइड एंड रूल के तहत काम किया जा रहा है। भाजपा पर निशाना साधते हुए मान सिंह ने कहा कि सिखों के साथ सरेआम धक्का किया जा रहा है। वहीं उन्होंने मांग की है कि चुनाव संगत की हाजरी में होने चाहिए। बताया जा रहा है कि मान सिंह द्वारा हर बार चुनाव को लेकर प्रदर्शन किया जाता है। गौर हो कि आज होने वाले एसजीपीसी चुनाव में अकाली दल की तरफ ने निवर्तमान प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी उम्मीदवार हैं। बागी गुट की तरफ से बीबी जागीर कौर प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
जागीर कौर का दावा है कि उनके पास 125 सदस्यों का समर्थन है। बादल परिवार का SGPC पर 1990 के दशक से प्रभाव है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल ने लंबे समय तक SGPC के मामलों में अप्रत्यक्ष रूप से काफी प्रभाव बनाए रखा। 1996 में जब प्रकाश सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष का पद संभाला, उसी समय से SGPC में उनका प्रभाव बढ़ा। इसके बाद SGPC में उनके करीबी सहयोगियों की नियुक्तियां शुरू हुईं और इस संस्था के महत्वपूर्ण पदों पर अकाली दल से जुड़े नेताओं का प्रभुत्व बढ़ने लगा। 2008 में सुखबीर सिंह बादल को अकाली दल के अध्यक्ष बनने के बाद SGPC में बादल परिवार का नियंत्रण और भी मजबूत हो गया।