नई दिल्ली. आपने सुना होगा कि रात का तीसरा पहर सबसे अशुभ होता है. दुनिया की ज्यादातर धर्मों और संस्कृतियों में तीसरी घड़ी को खतरनाक माना जाता है. रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच का समय तीसरा पहर माना जाता है. इसमें से 3 से 4 बजे के बीच के वक्त को ‘मौत का टाइम’ माना जाता है. जीसस क्राइस्ट की मौत दिन के 3 बजे हुई थी, जिसे शुभ समय माना जाता है, लेकिन इसके ठीक उलट सुबह के 3 बजे को बेहद अशुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस समय शैतान की ताकत चरम पर होती है और इंसान बेहद कमजोर. इस समय अचानक आंख खुलना, तेज पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना आदि महसूस होता है.
इस वक्त को केवल ऐसे ही मौत का वक्त नहीं माना जाता, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी है. तथ्यों के आधार पर विज्ञान और धर्म दोनों करीब-करीब एक नतीजे पर पहुंचते दिखते हैं, यानी सुबह 3 से 4 का समय बेहद खतरनाक होता है. मेडिकल साइंस के अनुसार, रात के 3 से 4 बजे के बीच अस्थमा के अटैक की संभावना 300 गुना बढ़ जाती है. इसका कारण बताया जाता है कि इस वक्त एड्रेनेलिन और एंटी-इंफ्लेमेटरी हार्मोंस का उत्सर्जन शरीर में बहुत घट जाता है. जिससे शरीर में श्वसनतंत्र बहुत ज्यादा सिकुड़ जाता है. दिन की अपेक्षा इस वक्त ब्लडप्रेशर भी सबसे कम होता है.
मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि सुबह 6 बजे कोर्टिसोल हार्मोन के तेजी स्त्राव के कारण खून में थक्के जमने और अटैक पड़ने का खतरा ज्यादा होता है. लेकिन सबसे ज्यादा ब्लडप्रेशर रात में 9 बजे होता है. ये भी मौत का कारण बन सकता है. वहीं एक रिसर्च में ये भी पता चला कि 14 फीसदी लोगों के अपने जन्मदिन के दिन ही मरने की संभावना होती है. जबकि 13 फीसदी लोग कोई बड़ी पेमेंट पाने के बाद मरने की हालत में होते हैं