नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ रखी है. पेट्रोल-डीजल से लेकर खाने-पीने के सामान भी लगातार महंगे हो रहे हैं. इसी बीच जनता को एक बार फिर तगड़ा झटका लग सकता है. देश में पावर जेनरेटिंग कंपनियों के साथ-साथ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां (डिस्कॉम) भारी घाटे से जूझ रही हैं.
देश में पॉवर सेक्टर का बुरा हाल है. भारत बड़े पैमाने पर कोल आयात करता है और देश में उर्जा का प्रमुख साधन कोयला ही है. ऐसे में लाजिमी है कि जब इंटरनेशनल मार्केट में फ्यूल का प्राइस बढ़ेगा तो पावर जेनरेटिंग कंपनियों की लागत भी बढ़ेगी. कोल क्राइसिस की घटना के बाद पावर मिनिस्ट्री ने ऑटोमैटिक पास-थ्रू मॉडल को लेकर निर्देश जारी किया है.
Automatic Pass-through Model के तहत अगर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के बाद फ्यूल का रेट बढ़ता है तो सरकारी डिस्कॉम के ऊपर एडिशनल बोझ होगा. डिस्कॉम को पावर प्लांट्स को कॉन्ट्रैक्ट के मुकाबले ज्यादा कीमत चुकानी होगी. हालांकि, इस कदम से पावर जेनरेटिंग कंपनियों की वित्तीय हालत में सुधार होगा, क्योंकि उन्हें बढ़ी हुई कीमत के हिसाब से पैसा मिलेगा. लेकिन, सरकार के इस फैसले से पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों यानी डिस्कॉम की माली हालत और बिगड़ भी सकती है.