मुबंई: महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासत गरमा गई है। इससे पहले डिप्टी सीएम पद को लेकर एकनाथ शिंदे द्वारा गृह मंत्रालय भी लेने को लेकर काफी अटकलें चल रही थी। जिसके बाद बीते दिन महाराष्ट्र के नए सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम अजित पवार और एकनाथ शिंदे सदस्य के तौर पर शपथ ली। लेकिन उद्धव गुट के विधायकों के शपथ लेने पर सियासत गरमा गई है। शनिवार को उद्धव ठाकरे की शिवसेना वाले विधायकों ने शपथ लेने से इनकार कर दिया। विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया। विधायकों ने कहा कि उनको EVM पर संदेह है। यह जनादेश जनता ने नहीं दिया है। चुनाव के नतीजे आने के बाद एक बार फिर सियासी पारा हाई हो चुका है।
इससे पहले महायुति में सीएम पद को लेकर कई दिन तक बैठकों का दौर चला था। महाराष्ट्र विधानसभा का 3 दिवसीय विशेष सत्र शुरू हुआ है, जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी। सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। सबसे पहले विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के तौर पर कालिदास कोलंबकर को चुना गया। जिन्होंने सीएम और डिप्टी सीएम को शपथ दिलाई। इसके बाद विधायकों को शपथ दिलाने का सिलसिला शुरू हुआ। लेकिन शिवेसना (UBT) और MVA के अन्य विधायकों ने शपथ लेने से इनकार कर दिया। आदित्य ठाकरे ने बताया कि उन लोगों को EVM पर संदेह है। यह जनता का जनादेश नहीं है। इसलिए उन लोगों ने सदन से वॉकआउट किया, शपथ नहीं ली।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी के चुने गए विधायक शपथ नहीं लेंगे। अगर जनता का जनादेश मिला होता तो वे लोग खुशी जाहिर करते। लेकिन इस जीत के बाद महाराष्ट्र में कहीं जश्न का माहौल नहीं दिखा। उन लोगों को ईवीएम पर संदेह है। वहीं, विपक्ष पर अजित पवार ने हमला बोला। पवार ने कहा कि ईवीएम की वजह से विपक्ष ने वॉकआउट किया है। लेकिन इससे कुछ नहीं होने वाला। उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है। अगर विपक्ष को EVM को लेकर कोई आपत्ति है तो चुनाव आयोग (EC) का दरवाजा खटखटाना चाहिए। कोर्ट का विकल्प भी उनके पास है। लेकिन वॉकआउट करने से क्या होगा?