ग्वालियर: शहर की गड्ढेदार और टूटी सड़के एक बार फिर से विघ्नहर्ता पर भारी पड़ी हैं। खल्लासीपुरा में विराजित करने के लिए ले जा रही गणेश प्रतिमा विराजित होने से पहले ही बीच रास्ते में गिर गई। इस गणेश प्रतिमा को शनिवार की शाम 5 बजे बाद स्थापित करने के लिए जीवाजीगंज से आयोजकों ने गाजे-बाजे के साथ लाना शुरू किया था जो रविवार की रात 8 बजे तक करीब चार किलोमीटर का रास्ता ही तय कर पाई और बीच रास्ते में ही गिर गई। जिन रास्तों से प्रतिमा को लाया जा रहा था, वहां अननिगत गड्ढे थे।
इसके साथ ही रास्ते में बिजली, डिस्क, इंटरनेट आदि की तारें भी थी। इन तारों को जैसे-तैसे हटाते हुए और जर्जर गड्ढों को पार करते हुए श्री गणेश जी की प्रतिमा रात 8 बजे शिंदे की छावनी स्थित नवाब साहब के कुंए के पास पहुंची तो अनियंत्रित होने के कारण सीधे जमीन पर आ गिरी और चकनाचूर हो गई। प्रतिमा गिरने के बाद आयोजकों ने रास्ता बंद करके गड्ढेदार सड़कों के विरोध में वहीं बैठ गए। उनकी मांग थी कि शहर की गड्ढेदार सड़कों पर जिला और नगर निगम प्रशासन ध्यान दे। साथ ही खंडित हो चुकी प्रतिमा का सम्मान के साथ विसर्जन किया जाए। रात करीब 11 बजे बाद प्रशासन ने खंडित प्रतिमा को डंपर और ट्रोला के जरिए खुरेरी में विसर्जित करने के लिए ले जाया गया। इसके बाद आयोजकों ने यहां छोटी गणेश जी की प्रतिमा विराजित की। इस घटना में प्रतिमा के पीछे खड़े दो लोग भी नीचे गिरे और चोटिल हो गए। उन्हें पास के निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां थोड़ी देर बाद उनकी छुट्टी कर दी गई।
गणपति प्रतिमा गिरते ही यहां जनता का मजमा लगना शुरू हो गया। वहीं आयोजक शहर के गड्ढों पर विरोध करने लगे। इस बीच यहां जो भी मोबाइल लेकर वीडियो या फोटो बनाने के लिए आया उसे लोगों ने पकड़कर पीटा। हालांकि यहां पुलिस बल मौजूद था, लेकिन उनकी संख्या काफी कम थी। घटना के करीब डेढ़ घंटे बाद पुलिस बल और वज्र की गाड़ी यहां पहुंची।
मामले की सूचना मिलते ही कांग्रेस नेता सुनील शर्मा भी अपने समर्थकों के साथ यहां पहुंचे ओर उन्होंने इस मामले में दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि ये मामला धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला है। सडक़ों के गड्ढे इतने दुखदायी हो गए हैं। यह आप समझ सकते हैं। उन्होंने प्रशासन को दोषी करार देते हुए कहा कि नि:स्संदेह घटना तो दु:खद है। आयोजकों की ओर से घटना स्थल पर बैठे ऋतिक गोयल ने कहा कि शहर की गड्ढेदार सडक़ों की वजह से ही प्रतिमा गिरी है। इसे यहां तक लाने में भी हमें काफी परेशानी उठानी पड़ी।