नई दिल्लीः नेपाल में बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर लगभग 200 हो गई, जबकि कम से कम 30 लोग अब भी लापता हैं। यह जानकारी पुलिस ने दी है। दरअसल, पिछले शुक्रवार से लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ आई और जगह जगह भूस्खलन हुआ, जिससे हिमालयी राष्ट्र में तबाही मच गई। नेपाल के पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि लगातार हो रही बारिश, बाढ़, भूस्खलन और पानी भर जाने की वजह से कम से कम 192 लोग मारे गए हैं।
उन्होंने बताया कि इस आपदा में देश भर में 94 अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जबकि 30 अन्य लापता हैं। समाचार चैनल ने गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ऋषिराम तिवारी के हवाले से बताया कि सरकार ने खोज, बचाव और राहत कार्यों को उच्च प्राथमिकता दी है। खोज और राहत प्रयासों के लिए तैनात किंया गया है और अब तक 4,500 से अधिक आपदा प्रभावित व्यक्तियों को बचाया जा चुका है। पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के कारण बिहार की हालत खराब है और 13 जिलों में बाढ़ की विभिषका देखी जा रही है।
घायलों का मुफ्त उपचार किया जा रहा है और बाढ़ से प्रभावित अन्य लोगों को भोजन और अन्य आपातकालीन राहत सामग्री प्रदान की गई है। ‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार की खबर के अनुसार, पूरे देश में कईइसके कारण हिमालय पर्वतमाला के पूर्व-पश्चिमी भाग और खासी-जयंतिया पहाड़ियों के उत्तर-दक्षिण भाग में असामान्य वर्षा हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया भर में वर्षा की मात्रा और समय में बदलाव हो रहा है और बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि का एक प्रमुख कारण पर्यावरण है।
सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं और राजधानी काठमांडू की ओर जाने वाले सभी मार्ग अब भी अवरुद्ध हैं, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं। घायलों का मुफ्त उपचार किया जा रहा है और बाढ़ से प्रभावित अन्य लोगों को भोजन और अन्य आपातकालीन राहत सामग्री प्रदान की गई है। ‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार की खबर के अनुसार, पूरे देश में कई सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं और राजधानी काठमांडू की ओर जाने वाले सभी मार्ग अब भी अवरुद्ध हैं, जिससे हजारों यात्री फंसे हुए हैं।
शनिवार को खबर में कहा गया कि असाधारण रूप से तीव्र बारिश के कारण ‘‘बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र और उत्तर दिशा में ‘मानसून ट्रफ (गर्त)’ की सामान्य से अधिक स्थिति’’ थी। ‘मानसून ट्रफ’ पाकिस्तान के निचले हिस्से से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ कम दबाव वाला क्षेत्र है। इसके कारण हिमालय पर्वतमाला के पूर्व-पश्चिमी भाग और खासी-जयंतिया पहाड़ियों के उत्तर-दक्षिण भाग में असामान्य वर्षा हो सकती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया भर में वर्षा की मात्रा और समय में बदलाव हो रहा है और बाढ़ के प्रभाव में वृद्धि का एक प्रमुख कारण पर्यावरण है। बाढ़ और भूस्खलन की वजह से देश के कई हिस्सों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कई राजमार्ग और सड़कें बाधित हो गई हैं, सैकड़ों मकान और पुल ध्वस्त हो गए हैं या बह गए हैं और सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं। सड़क बाधित होने के कारण हजारों यात्री विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं।