नई दिल्लीः कनाडा और भारत में चल रही तकरार का असर विदेश में रहने वाले भारतीयों पर पड़ रहा है। दरअसल, कनाडा सरकार द्वारा लगातार नियमों में बदलाव किए जा रहे है। वहीं अब आव्रजन मंत्री मार्क मिलर ने कहा कि आने वाले हफ्तों में कनाडा के इमिग्रेशन और शरण प्रणालियों में और अधिक सुधार प्रस्तावित किए जाएंगे। संघीय सरकार ने हाल ही में अगले 2 वर्षों में कनाडा में प्रवेश करने वाले स्थायी निवासियों की संख्या में महत्वपूर्ण कटौती की है और अस्थायी कर्मचारी परमिट के नियम को सख्त किया है। कनाडाई अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि शरणार्थी और शरण दावों पर कार्रवाई के लिए औसत प्रतीक्षा समय लगभग 44 महीने है।
इमिग्रेशन मंत्री मार्क मिलर ने एक संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि शरण प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है और इसे पूरी तरह से बदलना होगा। इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड (रिफ्यूजी बोर्ड) के पास अक्टूबर के अंत तक असालियम (शरण) के 2,60,000 से अधिक दावे विचाराधीन थे और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। कनाडा सरकार ने विजिटर वीजा पर आकर शरण का दावा करने वालों के मामलों को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कमर कस ली है और आने वाले दिनों में हजारों दावे खारिज हो सकते हैं। मार्क मिलर ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों ने गैर जवाब तरीके के साथ शरण दावे किए, जबकि वे बिल्कुल भी योग्य नहीं थे। उन्होंने कहा कि ऐसे हजारों अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं जिन्होंने शरणार्थी दावे दायर किए हैं, जिनकी सच्चाई से मिलर ने सवाल उठाए है।
मिलर ने कहा, “शरण का दावा करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है, मुझे लगता है कि उनकी परिस्थितियों को देखते हुए बहुत कम उम्मीद है।” इससे पहले अपनी गवाही में मिलर ने कहा था कि छात्र वीजा पर अधिक से अधिक लोग शरण के दावे दाखिल कर रहे हैं। समिति में जब मिलर ने अपनी गवाही समाप्त कर रहे थे तो प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर पकड़े हुए थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि ” हमें वापिस ना भेजें “, माइग्रेंट वर्करस अलाइंस फार चेंज के समूह प्रदर्शनकारियों में एक ने मंत्री से कहा कि हम वे लोग हैं जिन्हें आप इस देश से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
इस दौरान संसदीय सुरक्षा सेवा के अधिकारियों ने लगभग 20 लोगों के समूह को इमारत से बाहर निकाला। एनडीपी के इमिग्रेशन आलोचक जेनी क्वान ने हाल ही में इमिग्रेशन परिवर्तनों को वापस लेने का आह्वान किया, मिलर ने जवाब दिया कि कनाडाई नागरिक बनना कोई अधिकार नहीं है। बता दें कि अक्टूबर में कनाडा में 17,400 लोगों ने शरण का दावा किया था, जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 20,000 दर्ज किया गया था। असाइलम के 14 हजार से अधिक दावे शरण छात्रों द्वारा किए गए थे। इमिग्रेशन मंत्री ने संसदीय समिति को बताया कि शरण प्रणाली में सुधारों के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों को शरण का दावा करने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
हालांकि नए नियम आने से पहले शरण के दावे बढ़ रहे हैं, लेकिन इन्हें जल्द से जल्द निपटाने की रणनीति बनाई जा रही है। इमिग्रेशन मंत्री ने अभी नये नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी। इस बीच, टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर और मानवाधिकार इकाई की प्रमुख ऑड्रे मैकलीन ने अपने विचार साझा किए और कहा कि नए नियमों के तहत शरण के दावों को खारिज करने की प्रक्रिया कानूनी चुनौतियों में उलझ सकती है। किसी भी दावे को एकतरफा तौर पर फर्जी नहीं माना जा सकता। इमिग्रेशन मंत्री ने संसदीय समिति को संकेत दिया कि यह बेहतर होगा यदि इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड अधिक संसाधन आवंटित करे और निर्धारित समय सीमा के भीतर शरण दावों का समाधान करे।
यहां बता दें कि कनाडा सरकार ने खुद माना है कि देश में अस्थायी वीजा पर लोगों की संख्या 30 लाख से ज्यादा हो गई है, जिनमें से बड़ी संख्या स्टडी वीजा और विजिटर वीजा पर लोगों की है। लगभग 2 लाख पूर्व-अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वर्क परमिट समाप्त हो रहे हैं या समाप्त हो चुके हैं। जिसे देखते हुए आने वाले समय में देश में शरण चाहने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हो सकती है। इमिग्रेशन अधिवक्ताओं ने इमिग्रेशन और शरणार्थी बोर्ड के बेहतर रिसोर्सिंग की दलील दी है ताकि यह अधिक दावों को तेजी से संसाधित कर सके और संभावित रूप से उच्च स्वीकृति दर वाले देशों के दावों को अधिक तेज़ी से हल कर सके क्योंकि उनकी सफलता की संभावना अधिक है।