ब्रैम्पटनः कनाडा के ब्रैम्पटन में एक चौकाने वाली घटना सामने आई है। फलस्तीन समर्थकों ने महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा का अपमान किया है। इस घटना के बाद सिख नेताओं में काफी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमिटी (डीएसजीएमसी) के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने घटना की कड़ी शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि सिख गौरव, वीरता और एकता के प्रतीक महाराजा रणजीत सिंह जी का सम्मान किया जाना चाहिए, न कि ऐसी अपमानजनक बर्बरता का शिकार होना चाहिए।
असहिष्णुता का यह कृत्य शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और विविधता के सिद्धांतों पर सीधा हमला है। कालका ने कनाडाई अधिकारियों से इसमें शामिल कट्टरपंथियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया और इस तरह के विभाजनकारी कृत्यों को दोबारा होने से रोकने पर जोर दिया। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे शर्मनाक कृत्य बताया।
ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि हम महाराजा रणजीत सिंह का सम्मान करते हैं। उन्हें उनकी बहादुरी, नेतृत्व और दूरदर्शिता के लिए जाना जाता है। इस तरह से उनकी प्रतिमा को छति पहुंचना सिख विरासत का अपमान है। जिन्होंने भी यह किया है उनपर सख्त कार्रवाई होगी।
बता दें कि महाराजा रणजीत सिंह एक महान सिख शासक थे। पंजाब में कई अफगान हमलों को उन्होंने सफलतापूर्वक रोका और देश को हमले से बचाया। महाराजा रणजीत सिंह को अक्सर ‘पंजाब का शेर’ कहा जाता है। वह सिख साम्राज के संस्थापक और पहले शासक थे। उन्होंने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में अपना साम्राज्य बनाया। बचपन में चेचक के कारण उन्होने अपने एक आंख की रोशनी खो दी थी। इसके बावजूद उन्होंने कई युद्ध लड़े और अफगानों और ब्रिटिश को चुनौती दी।