आचार्य गोपाल शास्त्री कर रहे अमृत वर्षा
ऊना/ सुशील पंडित:उपमंडल बंगाणा के लठियानी के राजली में चल रही श्रीमद भागवत कथा में भगवान श्री बाल कृष्ण का जन्म हुआ। और कथा में पंडाल नाच उठा। कथा व्यास आचार्य गोपाल शास्त्री जी ने श्री कृष्ण के जन्म दिवस पर एक से बढ़कर एक भजन गाए। और श्री मद भागवत कथा के बारे में विस्तार से बताया। कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म राजा कंस की जेल में हुआ था। ओर जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। तो बासुदेव और देवकी की बेडिया टूट गई। पहरेदार दो गए। दरवाजे अपने आप खुल गए। और बासुदेव ने भगवान श्री कृष्ण को एक टोकरी में रखा। और सिर पर टोकरी और टोकरी में भगवान श्री कृष्ण और ऊपर से बारिश का जोर हो रहा था। लेकिन वासुदेव की हिम्मत नहीं डगमगाई। और वह भगवान श्री कृष्ण को लेकर चल पड़े।
रास्ते में आने बाली नदी में भारी उफान था। और पानी का बहुत तेज बहाव था। लेकिन वासुदेव भोलेनाथ का नाम लेकर नदी में कूद गए। गंगा माता भगवान श्री कृष्ण के चरण सपर्श करने के लिए बेचैन थी। और नदी का उफान बढ़ रहा था। उधर शेषनाग ने जब देखा। कि भगवान श्री कृष्ण बारिश से भीग रहे है। तो शेषनाग ने भगवान श्री कृष्ण पर अपने फन से छांव कर दी।
उधर गंगा माता ने भगवान श्री कृष्ण के चरण सपर्ष करके शांत हो गई। और बासुदेव गंगा पार हो गए। कथा व्यास ने कहा कि नंद रानी और नंद बाबा अपने कमरे में सो रहे थे। और बासुदेव ने नंदरानी के पास सोई लकड़ी को उठाया। और भगवान श्री कृष्ण को लिटा दिया। और खुद लड़की को लेकर जेल में पहुंच गए। कथा व्यास ने कहा कि श्री मद भागवत कथा ही व्यक्ति को भव सागर पार करवाती है।
इसलिए हर व्यक्ति को श्री मद भागवत कथा बड़े भाव से सुननी चाहिए। तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है। बही कथा के विराम के बाद सभी श्रद्धालुओ को भंडारे का प्रसाद भी वितरण किया। इस मौके पर सैंकड़ो भक्तो ने कथा का रसपान किया। नी उपमंडल बंगाणा के लाठियानी के राजली में चल रही श्रीमद भागवत कथा के बुधवार को भगवान श्री बाल कृष्ण का जन्म हुआ। और कथा में पंडाल नाच उठा। कथा व्यास आचार्य गोपाल शास्त्री ने श्री कृष्ण के जन्म दिवस पर एक से बढ़कर एक भजन गाए। और श्री मद भागवत कथा के बारे में विस्तार से बताया।
कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म राजा कंस की जेल में हुआ था। ओर जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। तो बासुदेव और देवकी की बेडिया टूट गई। पहरेदार दो गए। दरवाजे अपने आप खुल गए। और बासुदेव ने भगवान श्री कृष्ण को एक टोकरी में रखा। और सिर पर टोकरी और टोकरी में भगवान श्री कृष्ण और ऊपर से बारिश का जोर हो रहा था। लेकिन वासुदेव की हिम्मत नहीं डगमगाई। और वह भगवान श्री कृष्ण को लेकर चल पड़े। रास्ते में आने बाली नदी में भारी उफान था। और पानी का बहुत तेज बहाव था। लेकिन वासुदेव भोलेनाथ का नाम लेकर नदी में कूद गए। गंगा माता भगवान श्री कृष्ण के चरण सपर्श करने के लिए बेचैन थी। और नदी का उफान बढ़ रहा था।
उधर शेषनाग ने जब देखा। कि भगवान श्री कृष्ण बारिश से भीग रहे है। तो शेषनाग ने भगवान श्री कृष्ण पर अपने फन से छांव कर दी। उधर गंगा माता ने भगवान श्री कृष्ण के चरण स्पर्श करके शांत हो गई और बासुदेव गंगा पार हो गए। कथा व्यास ने कहा कि नंद रानी और नंद बाबा अपने कमरे में सो रहे थे और बासुदेव ने नंदरानी के पास सोई लकड़ी को उठाया और भगवान श्री कृष्ण को लिटा दिया और खुद लड़की को लेकर जेल में पहुंच गए।
कथा व्यास ने कहा कि श्री मद भागवत कथा ही व्यक्ति को भव सागर पार करवाती है। इसलिए हर व्यक्ति को श्री मद भागवत कथा बड़े भाव से सुननी चाहिए। तभी मोक्ष की प्राप्ति होती है। बही कथा के विराम के बाद सभी श्रद्धालुओ को भंडारे का प्रसाद भी वितरण किया। इस मौके पर सैंकड़ो भक्तों ने कथा का रसपान किया।