जालंधर के एजेंट ने भेजे थे 700 विद्यार्थी
चंडीगढ़ः कनाडा की सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 5 लाख से ज्यादा स्टूडेंट वीजा एप्लीकेशन को क्राॅस चेक किए गए। जांच के दौरान 5 लाख में से 93 फीसदी एप्लीकेशन सही पाए गए, लेकिन 2 फीसदी एप्लीकेशन में फर्जी दस्तावेज मिले। कई मामलों में, कॉलेज-यूनिवर्सिटी भी वीजा के लिए जमा किए गए एडमिशन लेटर की पुष्टि नहीं कर पाए। पिछले साल कनाडा में एक बड़ा फ्रॉड सामने आया था। कई सारे भारतीय छात्रों को भारत के एक फर्जी कंसल्टेंट ने नकली एडमिशन लेटर के साथ कनाडा भेज दिया। कनाडा पहुंचने पर जब इस बात का खुलासा हुआ तो छात्रों को वापस भारत भेजा गया। जालसाज एजेंटों ने कॉलेजों व यूनिवर्सिटी के फर्जी एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) और फर्जी ऑफर लेटर का इस्तेमाल कर 10 हजार युवाओं को कनाडा स्टडी के लिए पहुंचा दिया।
इन विद्यार्थियों में भारी संख्या में पंजाब मूल के हैं, जबकि बाकी हरियाणा व गुजरात के अलावा कुछ दिल्ली के हैं। कनाडा सरकार के इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है और कई कॉलेज संचालकों पर भी गाज गिरने की संभावना है। जांच की जा रही है कि उन्होंने दस्तावेजों की पुष्टि किए बिना दाखिल क्यों दे दिया? जालंधर के जालसाज एजेंट बृजेश मिश्रा ने 700 विद्यार्थियों को कनाडा में कॉलेजों में दाखिला दिला दिया, जिसमें फर्जी ऑफर लेटर का इस्तेमाल किया गया था। इन छात्रों को जब वर्क परमिट जारी किया जाने लगा तो बवाल खड़ा हो गया। सरकार ने इसके सबक लेते हुए इस साल हुए एडमिशन लेटर का वेरिफिकेशन करना शुरू कर दिया है। नए नियमों के तहत सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी को ऑनलाइन पोर्टल के जरिए एडमिशन लेटर की पुष्टि करनी जरूरी है।
10 हजार विद्यार्थी फर्जीवाड़ा कर कनाडा में दाखिल होने से वहां की सरकार बुरी तरह से घिर गई है। पंजाब पुलिस के रिटायर आईजी एसके कालिया ने इस मामले को बेहद चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा कि फर्जी एजेंटों के साथ-साथ उन कॉलेज और यूनिवर्सिटी पर भी कार्रवाई की जाए, जो इसमें शामिल हैं। पंजाब व केंद्र सरकार को भी इस विषय पर कनाडा सरकार से बात करनी चाहिए, क्योंकि इसमें विद्यार्थियों का कोई कसूर नहीं है। वह एजेंटों की जालसाजी का शिकार हुए हैं। इनमें बहुसंख्यक पंजाबी है तो लिहाजा सूबे की सरकार को एजेंटों की शिनाख्त करनी चाहिए।
स्टडी अब्रॉड कंसल्टेंट एसोसिएशन के चेयरमैन सुक्रांत त्रिवेदी का कहना है कि यह सारा खेल एजेंटों ने खेला है। उन्होंने वीजा लगवाने के लिए बड़े बड़े कॉलेजों के ऑफर लेटर फर्जी तैयार किए। कनाडा दूतावास ने वीजा जारी कर दिया, लेकिन वहां पर पहुंचते ही छात्र का किसी अन्य कॉलेज में दाखिला करवा दिया गया। दूतावास ने ऑफर लेटर को कॉलेजों के साथ क्राॅस चेक नहीं किया, जिसका फायदा एजेंटों ने जमकर उठाया और छात्रों का भविष्य खतरे में डाल दिया।